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ठाकुर ब्रह्मानीर पूजा

आजी नेमान खाचे गाँवेर
देउनियाँ देउनियाँनी।
लारु केला चढाय पूजे
ठाकुर ब्रह्मानी।।
एङ्ना घर करिया
सिनान करे देउनियाँनी।
शुद्ध मने पूजार सामान
जुटाय देउनियाँनी।।

लारु केला पान सुपारी
आर अलुवा चाउल।
तेल सिन्दूर गायेँर दुह्नी
लटात के आनी।।

सिनानपानी करिये देउनियाँ
आने केलार पात।
काङ्हत् गम्छा लिये आने
भर लटा पानी ।।

पुर्ना चाउल नयाँ चाउल
राखे भिनाभिन।
तुलसीर पथी अगरवत्ती
सालधुब्ना आनी।।

जल लिये जमिन लेपे
शुद्ध हय स्थान ।
केलार पाथी धुये अछाय
करे पूजमानी।।

ठाकुर ब्रह्मानी हलुमान
हामा सभार देव।
कोय कोय आह्र देवा पूजे
अपनार हित मानी।।

आगे नयाँ अन्न चढाय
कुलेर देवींदेव।
मानादाना करिये चढाय
प्रसाद आर पानी ।।

घटिबढी भुलचुक दिलसे
माङे क्षमा दन।
प्रसाद लारु फूलपात चढाय
करे जल अर्पन।।

पूजमान समापन करिये
छुवाक पारे डाक।
बालक भगवानक बाँटे
प्रसाद आर पानी।।

प्रकृतिर पूजक हामा
नि चाइ बेद ब्राह्मण।
अपनारे रितीथितिये
बिताइ जिवनी।।

आह्र केतेक करिम भाइला
सबाय जानन सब।
"कोचिल्दा" मुईं विदा चाहछु
दन ना दुःख मानी।।

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