हुक्का: -
अतिथी सत्कारेर सवसे पहला सामान या कहि ते सेवन सामग्री ताम्कुल से भराल हुक्का पान करुवार चलन हामार बाप पुर्खा से चलि असाल आर आल्हा
आधुनिकतम् प्रशोधन आर सरलतम् उपभोग स्वरुप खैनी, चुर, विडी, सिगरेट से
हतेहते गुटकाजर्दा तक असिपुगिछे जैला सामग्री अन्जान से अन्जानलार बिचत भि
दुवादुइ हचे आत्मियता बढावार सरलआर अनुपम साधन हय । वहिला साधनेर मूल हय
हामार हुक्का आर ताहारे सांकेतिक रुप हय हामार औंशिया पावुनेर हुक्का । इड
हुँक्का सवसे पहिले कुल देवता - ठाकुर व्रह्माणी, हलुमान, आर जाहाँ काली,
पाँचदेवती छे अम्हाँलाक हुँक्का अर्पण करिये तुष्ट करेछी साथ साथ ग्रामेर
देवता महाराज थानत चाढाय तुष्टी दिलाछी । अन्तिमत हामाक इखान धर्तित
आनुवाँर, निती, चलन, घर व्यवहार, दुनियाँ समाजेर शिक्षा दिक्षा दिलावार
अहम् भुमिका रहाल हामार पितृलोकत रहाल पितृदेवलाक हुक्का अर्पण करिये
अम्हाँर प्रति
अपनार धरम, कर्तव्य, उत्तरदायित्व वोध करिये, अम्हाँक स्मरण
करिये अम्हाँर प्रति भक्तिभाव साथ हुँक्का खेलाते कहची:- दादो दादी
हुँका..ले ! आर कहची- खाट नाम्हँ सहेर हो, माने धरती ना उँचा निचा रोहोक
समाजत कोय उँचा कोय निचा निरहय सहेर माने समान होक । फेर कहची - लोकेर औल
बौल हामार धान दुधेर चौल:- माने हामा पितापुर्खासे गिर्हस ,कृषक छी धान
उब्जाबार हामार मुख्य पेसा रोजगार या काम हय ते कामना करेछी कि आनझनार
औलबौल माने जैरङ बि होक लेकिन अपनार धानला पुष्ट चाउवाला होक । आह्र कहची -
लोकेर धान हेकाबेका हामार धान दुधेर टेका -माने अच्छा से उव्जनीर कामना
करिये आर्थिक समृद्धिर चाहना व्यक्त करिये पितृलोकेर पुर्खालार आशिर्वाद
माङेछी ।हुक्का खेलिये घर असुवार से आगे गावँघर अगलवगलकार बरबरखा आदरणिय, पुजनिय दादो दादी, जेठो जेठी, काका काकी, आई बाउ, दादा भौजीलाक प्रणाम ढोग करेछी ते अम्हाँर से आशिर्वाद प्राप्त करेछी । साथ साथ सादा गरम गरम पिठ्ठ प्रसाद स्वरुप दिचे हामाक उड पिठ्ठ सादा हवारपर भि जव हातत लिछी ते उड समयेर आनन्दानुभुती, बरबरखार परकार श्रद्धाभाव से मन पुलकित, हर्षित, आनन्द विभोर हय लागेछे कि उड पिठ्ठ पिठ्ठ निहय दुनियाँर सव सुखेर भण्डार हय । सादा रहवार अर्थ छे बर छट काहारो भि दिलत कोय स्वार्थ, नक्लीपन, मिसावट राग द्वेश आदि इत्यादी सांसारिक दुर्गुण से रहित रहछी आर रहछे हामार विचकार भावना । आर पुज्यजनला भि उदिन उड समयेर भक्तिसे एतेक आनन्द अनुभव करेछे कि ताहार तुलना रामायणेर अंधाअंधी पुत्र श्रवणकुमारेर पितृ भक्तिसे जेहिरङ ताहार मांबाप खुसि छिले वहिरङ लागेछे कि मोर आगुत भक्तिदिवार छुवार अन्तर भि भक्तिसे भराल छे ।
सारांश: - एक हुक्काय हामाक देवीदेवा, पितापुर्खा,सभार से असल आर गहिरा सम्वन्ध जोरवार काम करेछे ।
हुक्का खेल समापन हय एङ्नागर दरवज्जा चेका मखा जैठिन भि रखुवार मिलेछे उला उला ठावँ माटीर चेराक, ममवती जलाय गरेर अगुवारी पछुवारी सभेति उजुत जलाय फटफट करिये राखेछी । साथसाथ खेतेरवारीत सादा नुवाँर सेल्तात तेल लागाय द्प जलाछी । माने इड रात कोय ति भी अन्धकारेर वास रहवा नापाओक कहय अधिक से अधिक उजाला राखेछी । कोय कोय आकाश तारो भी टाङेछे । जे होक इड दिप प्रज्वलनेर रात हवार कारण दिपावली कहय भी नाम धरा ल गैछे ।
दिपावलीर वाद जथाशक्ति अच्छा अच्छा पकवान नाधिये सबाय मिलिये एक साथ बठिये आनन्द मने रातकार खाना खाची ।
खाना खावार बाद आर सुतुवार से आगु लक्ष्मी माता रुपत मान्ते असाल गायँ गोरु बाछा बाछी लाक काल्ही तम्हाँर पुजमान करवा लागे रिसगसा निमानियें आसन कहय पान सुपारी खिलाय आमन्त्रित करेछी ।
आजिकार हुक्का, या दिपावली या पिठ्ठर कार्यक्रम यहिरुपत सम्पन्न हचे लेकिन स्थान गावॆं ठावँ अन्तर अनुसार सामान्य भिन्नता भि हवापारे ।
आल्हा ते निरदयी समयेर कुचक्रत फँसिये ओतेक नाचगान निचलेसे । लेकिन कुछु दसक आगुतक नाचगान गावँगावँ हय कभिकभि कोय कोय ठिन त एकटा गावँत २/३ जेह्र नाच करे । जेहोक कमि असुवार पर भि जेतेकला नाचेर टीम छे आजिकारे दिनसे नाच करिये बेरावार शुरु कराल जासे ।
ते आदरणिय बन्धु भाइला इला हय हामार औंसिया पावनीर अनेक दिनेर मइदे प्रतम दिन दिपावली हुक्कार विशेषता । इड हामार अपनार अनुभव , विचार मन्थनेर आधारत कराल प्रस्तुती जुदी कोय काहाको गलत लागे त क्षमा चाहते सहि काथा जानकारी करावर नेहरा करेछी । आर सहि लागे त विचार से अवगत करावा नाभुलन । धन्यवाद !
औंशिया पावनिर अंधकार रातिक दिपावलीर ज्योति जैनङ जगमगाछे वहिरङ मित्र वन्धुलार मन दिल जिवनत दुखेर अन्धकारत सुखेर ज्योति जगमग जगमग जगमगाते रोहोक हार्दिक हार्दिक हार्दिक मंगलमय मंगलकारी, अमंगलहारी रहोक सुख शान्ति समृद्धिसे भरिपुर्ण रहोक यहिड कामना करेछी!! जय माँ महाँलक्ष्मी !!!
तमसोमा ज्योतिर्गमय !!!
साभार:: रबि लाल ताजपुरिया कोचिल्दा
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