Lets Put In Hands Together To Save Our Beautiful Culture, Society,Religion, Language and Our Recognition..Listen Rajbanshi Songs...>O Ge Beti Jaasis Ge..... # Naya Saalat...

नेपालेर राजबंशीलार मौलिक परम्परा आर एकटा छट इतीहास

. पृष्ठभूमि 

वर्तमान समयत पुर्बी नेपालेर झापा ,मोरंग आर सुनसरी जिल्लालात पारा पुर्व काल से रहते आशाल कोच समुदायला राजबंशी नाम से परिचित छे | राजबंशीर अर्थ हसे राजार बंस अर्थात राजबंशी ला राजार बंस हबार कारण राजबंशी कहसे इला काथासे कि प्रस्ट हसेकी एकटा समयत राजबंशीला अक्तिसम्पन्न समृद्ध ,आफ्नार भासा ,सांसकृतिर साथ् राज्य सासन करिस्ले | राजबंशी लाक कोच अथवा कोचे कहेके भी चिनाजासे | बर्तमान समयत कोशी नदिर से पुरुब भितिकार तराइर जमिनखान प्राचिन प्राग जोतिस्पुर वा कामरूप राज्यर भितरत छिले कहेना इला कथा इतिहासलात पाछी | रामायण ,महाभारत हिन्दु धर्मेर तन्त्र पुराणलात भी प्रागजोतिस्पुर आर कामरूप राज्यार ब्याख्या कराल पाछी | माहाभारतेर समयत कामरूप राज्यर सिमा दख्खिन बोंगो सागर आर पछिम करोतिया नदिर तक छिले |

उड समयत करोतिया नदिड एकटा बिसाल नदि छिले बर्तमाननेर टिस्टा ,कोशी आर माहानन्द मिलिय एकटा बिसाल नदि छिले | योगिनी तन्त्र आनुसार पछिम करोतिया नदिसे दिक्करबासिनी तक उत्तर कन्चगिरि ,पुरूप भिती तिर्थश्रेष्ठ दिक्षानदि ,दख्खिन भिती ब्रम्हपुत्र आर लाक्षा नदिड तक कामरूप राज्यखान फैलाल छिले जाक पछुकर समयत कामतापुर से चिनाल गेइस्ले | कोच सब्द संकोस सब्द से उत्पत्ति हवाल सब्द हए | आसामत रहाल संकोश नदि आर नेपालेर कोशी नदिर बीचत रहबार लोक्लाक कोस कहेना चिनाल जछे ओइड कोस सब्द बर्तमान समयत कोच नाम से परिचित छे |
इसाडर १७ आर १८ सताब्तिर भित अंग्रेज ला भारतत उपनिबेस उपनिबास बनाई आसाम, उत्तर बङ्गाल बर्तमान भारतत सामेल करले आर नेपलेर झापा ,मोरंग आर सुनसरी नेपालत सामेल हवार कारण कोचलार अर्थात राजबंशीलार राजनीतिक इतिहास समाप्त हएगेल|

आर्य जात ला आस्वार से पहिला कोच राजबंशी ला आफ्नार भासा सांसक्रितिर साथ समृद् राज्य संचालन करिसले पछु राजपरिवार लार बिचेर कलह आर झाग्रार कारण भिन्न भिन्न सक्तिला मौका देखिए एखान भुमि कब्जा करते गेल एकटा सम्रिद साली राज्य संचालन कराल लोकला बर्तमान समयत राजबंशी ला ओइला सक्तिर बीचत कुकुर ,बिल्लार मान जिन्दा छि |

राजबंशीलार परम्परा 

. सिस्टाचार 
राजबंशी समुदायत सिस्टाचारेर बहुत महत्व छे | छोटो ला आफ्नार से बर लाक चप्पल जुत्ता खुलाईके भक्ति दिवार चलन छे लेकिन वर्तमान समयत इला चलन हराते जासे राजबंशी समुदायर लोकला जेतेक बेसी सिक्क्षित हतेजासे अफ्नार परम्पराला पिस्राते जासे 

. खानपान 

राजबंशी लार नाधान घरलात दाल ,भात ,आलुरभाजी ,मच ,खसिर मासु ,पेल्का,सुकाती ,खरी एलाजिनिस चलेसे 

. दोजिबा अवस्था 

गर्भ बती बेर्छानीलाक दोजिबा कहसी इड समयत मॉएर भितिकार आफ्नार लोकलाक खिर खिलाबा आसेसे ताकी छुवाड खिरेर मान गर होक | छुवाड जनाम लिबार ६ दिन बाद छठी कहसी उदिनाकरे घर एन्गना लेप मुछ करिये लौवा बाभन लिए सुध हसी|

. कान छेदा

कान छेदा राजबंशी समुदायर महत्वपूर्ण बिधि हए जब्तक कान छेदा नीकरेसे तब्तक बेहा कारवार रास्ता नी खुले लेकिन इड चलन बर्तमान समयत पुरा रुपपत हाराइ गैसे 

. मर्खी 

राजबंशी समुदायत आदमी मर्ले जलाबार आर माटीदिए गार्बार भी चलन छे | गुरुगसै ,गइन् गसै ,मर्ली इला लोकक निजलाई गार्बार चलन छे आर बाकी ला लोककजलाबार चलन छे | क्रिया कर्बार समयत पर्सदिया गशाईर( गुरु गसै )एकदम जरुरि हसे |प्रसदिया गसै बिना क्रिया सम्पन्न निहसे|

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