जेनंगती एक्टा भवनेर एकदम मजबुत खाम्बा से अढिक छे , अनंगती कुनह भी देश , घर , समाजेर कलात्मक द्रिष्टिर छबि एकटा नारी पर निर्भर हचे !जेनंगती धुरीर बिना गाडिर पाईयाला नि चल्बे, नारी बिना इरा संसार नि चल्बे ! नारी एकटा शक्ति साळी रुपत हर्र चीज मजबुतेर सम्मान कराल जाबे !जैरा घर संसारत नारीर सम्मान नाई , उरा घरक नरक कहले भी होबे !
चीर परिचित कवि श्री मैथिलिशरण गुप्तार कबीताखानत नारीर बारे कुछु पंग्ती ला ..